Monday, September 14, 2015

नर्सों ने वापस ली हड़ताल, स्वास्‍थ्य सेवाएं बहाल

तीन दिन से उत्तराखंड में चली आ रही नर्सों की हड़ताल स्थगित हो गई। रविवार सुबह से ही प्रदेश भर की नर्सें काम पर लौट आईं।

इससे जनसमुदाय को बड़ी राहत मिली है। हालांकि उत्तराखंड नर्सेज सर्विसेज एसोसिएशन ने हाईकोर्ट के आदेश और जनहित का हवाला देते हुए हड़ताल को मात्र स्थगित करने की बात कही है। पिछले तीन दिन प्रदेश के लोगों की जान और सेहत पर भारी पड़े। प्रदेश भर में 1280 नर्सें हैं।

इनके हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाएं चरमरा गई थीं। उत्तराखंड नर्सेज सर्विसेज एसोसिएशन की अध्यक्ष अंजना भौमिक और मीडिया प्रवक्ता लक्ष्मी पुनेठा ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए और लोगों की तकलीफों के मद्देनजर एसोसिएशन ने हड़ताल स्थगित करने का फैसला लिया है।

हड़ताल समाप्त नहीं की गई है, इसे मात्र स्थगित किया गया है। कहा, मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और नौकरशाहों ने इस मामले में कतई गंभीरता नहीं दिखाई। एसोसिएशन की सभी मांगें जायज हैं, लेकिन सरकार उन पर पूरी तरह से उदासीन और संवेदनहीन बनी हुई है।

उन्होंने साफ किया कि नर्सों की एकता को तोड़ने के लिए शासन ने भेद की नीति चलने की कोशिश की, लेकिन इसमें वह विफल रहे। एसोसिएशन की पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार इसे एसोसिएशन की हार नहीं समझे। हड़ताल को खत्म कहना ठीक नहीं होगा। स्थगन समय के दौरान सरकार को मौका दिया जा रहा है।

उधर, दून चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्साधीक्षक डॉ. आरएस असवाल ने बताया कि नर्सों के कामकाज पर आने से स्वास्थ्य सेवाएं लगभग सामान्य हो गई हैं। हालांकि सब कुछ पहले की तरह होने में एक दो दिन का समय लगेगा। अब पहले की तरह मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। चिकित्सालय की नर्सेज पूरी तरह से सहयोग कर रही हैं।

दूरस्थ इलाकों के लोग हुए ज्यादा प्रभावित
अस्पतालों में भर्ती मरीजों का सबसे बुरा हाल रहा। सबसे ज्यादा प्रभावित दूरस्थ इलाकों में रहने वाले लोग रहे। देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर आदि शहरों में तो निजी सेवाओं का अस्तित्व है, लेकिन पर्वतीय इलाकों में हाल बेहाल हो गए थे।

हालात इतने खराब हो गए थे कि मरीजों को चिकित्सालयों से छुट्टी दे दी गई थी। इससे सैकड़ों मरीजों की दशा बदतर हो गई। दून में एक मरीज की मौत भी हो थी। नए मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा था। सबसे खराब स्थिति गरीब मरीजों की थी, जो चाहकर भी वैकल्पिक चिकित्सा सेवाओं का फायदा नहीं ले पा रहे थे।

दो गुटों में बंटने के रहे चर्चे
रविवार को सुबह से हड़ताली नर्सों ने कामकाज संभाल लिया। इस दौरान उन्होंने स्वास्थ्य सचिव और महानिदेशक चिकित्सा डॉ. आरपी भट्ट को काम पर वापस आने संबंधी पत्र सौंपा। लेकिन माहौल में गरमी रही। चर्चा रही कि एसोसिएशन दो फाड़ हो गया है।

नर्सों में मतभेद हो गया है और एक गुट काम पर नहीं लौटा है। इनमें काफी गरमा गरमी भी हुई। लेकिन एसोसिएशन की प्रवक्ता लक्ष्मी पुनेठा ने इससे साफ इनकार किया। उनका कहना था कि कुछ लोगों में नाराजगी जरूर थी, लेकिन मतभेद नहीं।
Aamar Ujala

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