दैवी आपदाओं से निपटने के लिए सौ साल बाद भगवान कुबेर को मनाने के लिए उत्तराखंड में पांडुकेश्वर के ग्रामीण महा आयोजन कर रहे हैं।
धन-वैभव और एश्वर्य के राजा भगवान कुबेर की दिवारा यात्रा पांडुकेश्वर के योग ध्यान बदरी मंदिर में ठीक एक सदी बाद आयोजित हो रही है। पांडुकेश्वर के ग्रामीण बीते वर्ष आयी आपदा से राज्य को उभारने के लिए फिर से भगवान कुबेर को मनाने में लगे हुए हैं।
स्थानीय मान्यता है कि भगवान कुबेर की दिवारा (देव यात्रा) का आयोजन करने से राज्य में सुख-समृद्धि और धन-वैभव का भंडारण होता है। भगवान कुबेर को बदरीनाथ क्षेत्र के राजा के रुप में पूजा जाता है।
बदरीनाथ धाम में बदरीश पंचायत (बदरीनाथ गर्भगृह में मौजूद देवता) भगवान कुबेर की भी छह माह तक नित्य पूजा-अर्चना होती है। पांडुकेश्वर में कुबेर का मंदिर विद्यमान है। बताते हैं कि वर्ष 1915 के बाद इस बार कुबेर की दिवारा का आयोजन किया जा रहा है। इतने लंबे अंतराल के बाद हो रही इस यात्रा के पीछे ग्रामीण प्राकृतिक आपदाओं को जिम्मेदार ठहराते हैं।
धन-वैभव और एश्वर्य के राजा भगवान कुबेर की दिवारा यात्रा पांडुकेश्वर के योग ध्यान बदरी मंदिर में ठीक एक सदी बाद आयोजित हो रही है। पांडुकेश्वर के ग्रामीण बीते वर्ष आयी आपदा से राज्य को उभारने के लिए फिर से भगवान कुबेर को मनाने में लगे हुए हैं।
स्थानीय मान्यता है कि भगवान कुबेर की दिवारा (देव यात्रा) का आयोजन करने से राज्य में सुख-समृद्धि और धन-वैभव का भंडारण होता है। भगवान कुबेर को बदरीनाथ क्षेत्र के राजा के रुप में पूजा जाता है।
बदरीनाथ धाम में बदरीश पंचायत (बदरीनाथ गर्भगृह में मौजूद देवता) भगवान कुबेर की भी छह माह तक नित्य पूजा-अर्चना होती है। पांडुकेश्वर में कुबेर का मंदिर विद्यमान है। बताते हैं कि वर्ष 1915 के बाद इस बार कुबेर की दिवारा का आयोजन किया जा रहा है। इतने लंबे अंतराल के बाद हो रही इस यात्रा के पीछे ग्रामीण प्राकृतिक आपदाओं को जिम्मेदार ठहराते हैं।
86 वर्षीय नरेंद्र सिंह मेहता और चंद्र सिंह पंवार का कहना है कि
उनके पूर्वज बताते हैं कि वर्ष 1915 से 1923 तक बदरीनाथ क्षेत्र में भारी
बर्फबारी हुई थी, जिससे इन वर्षों में कुबेर की दिवारा यात्रा का आयोजन
नहीं हो पाया था।
इसके बाद क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाएं घटित होती रही, और दिवारा यात्रा का आयोजन होना प्रतिवर्ष असंभव ही बना रहा। इस वर्ष क्षेत्र के युवाओं ने भगवान कुबेर की दिवारा यात्रा पुन: शुरू करने की योजना बनाई तो बुजुर्गों ने उन्हें पूरा सहयोग देने के लिए कहा।
भगवान कुबेर जब अपने पश्वा पर अवतरित हुए तो उन्होंने यज्ञ, अनुष्ठान से दैवी आपदा को कम करने का वचन ग्रामीणों को दिया। भगवान के दिए वचन को ग्रामीण तन, मन, धन से निभा रहे हैं।
भगवान कुबेर को बदरीनाथ क्षेत्र के राजा के रूप में पूजा जाता है। बदरीनाथ धाम में बदरीश पंचायत (बदरीनाथ गर्भगृह में मौजूद देवता) की तरह भगवान कुबेर की भी छह माह तक नित्य पूजा-अर्चना होती है। पांडुकेश्वर में कुबेर का मंदिर विद्यमान है।
इसके बाद क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाएं घटित होती रही, और दिवारा यात्रा का आयोजन होना प्रतिवर्ष असंभव ही बना रहा। इस वर्ष क्षेत्र के युवाओं ने भगवान कुबेर की दिवारा यात्रा पुन: शुरू करने की योजना बनाई तो बुजुर्गों ने उन्हें पूरा सहयोग देने के लिए कहा।
भगवान कुबेर जब अपने पश्वा पर अवतरित हुए तो उन्होंने यज्ञ, अनुष्ठान से दैवी आपदा को कम करने का वचन ग्रामीणों को दिया। भगवान के दिए वचन को ग्रामीण तन, मन, धन से निभा रहे हैं।
भगवान कुबेर को बदरीनाथ क्षेत्र के राजा के रूप में पूजा जाता है। बदरीनाथ धाम में बदरीश पंचायत (बदरीनाथ गर्भगृह में मौजूद देवता) की तरह भगवान कुबेर की भी छह माह तक नित्य पूजा-अर्चना होती है। पांडुकेश्वर में कुबेर का मंदिर विद्यमान है।
अमर उजाला
No comments:
Post a Comment