लक्षण:
विशेषज्ञों के अनुसार स्वाइन फ्लू के वायरस ने स्वयं में इतना बदलाव
कर लिया है कि मरीजों में अब बीमारी के परंपरागत लक्षण बहुत बाद में नजर आ
रहे हैं। मेडिकल साइंस के मुताबिक भी वायरस द्वारा तीन साल में खुद की
क्षमता कई गुना तक बढ़ा ली जाती है। यही कारण है कि इस वायरस के संपर्क में
आने वाले मरीजों पर यह पहले के मुकाबले दोगुनी रफ्तार से हमले कर रहा है।
जब तक मरीजों में इसकी पहचान हो रही है तब तक वह गंभीर अवस्था में आ जाता
है। मरीजों को अब टेमीफ्लू का हर दिन 75 एमजी डोज सुबह शाम दिया जा रहा है।
इस इन्फेक्शन के लक्षण क्या हैं ?
- बुखार
- खांसी
- गले में खराश
- नाक बंद या बहता नाक
- बदन दर्द
- सिसदर्द
- कांपना
- थकान
- उल्टी आना
- खांसी
- गले में खराश
- नाक बंद या बहता नाक
- बदन दर्द
- सिसदर्द
- कांपना
- थकान
- उल्टी आना
इसके लक्षण सीज़नल फ्लू की तरह होते हैं। ये लम्बे समय तक खिंचते हैं और जाते नहीं हैं।
बचाव
- बार-बार हाथ धोएं
- छींक या खांसी आने पर नाक और मुंह ज़रूर टिश्यू पेपर से ढकें। उस पेपर को डस्टबिन में ही फेंके।
- छींक और खांसी आने के बाद तो साबुन और पानी से हाथ ज़रूर धो लें। वो हैंड क्लीन्ज़र्स जिनमें अल्कोहल होता है, काफी इफेक्टिव होते हैं।
- अपनी आंखों, नाक और मुंह पर बार-बार हाथ ना लगाएं।
- जिन्हें भी खांसी हो, उनसे दूर रहें।
- अगर किसी को सर्दी, खांसी, जुकाम होता है, तो उसे स्कूल, कॉलेज, ऑफिस से छुट्टियां लेनी चाहिए, ताकि किसी को यह फ्लू ना फैले।अपने पास के अस्पताल में तुरंत जाएं।
- स्ट्रेस ना लें
- पानी खूब पिएं
- न्यूट्रिशन वाला फूड खाएं
- नींद पूरी लें
- फिजिकली एक्टिव रहें
- पब्लिक प्लेस में थूंके नहीं
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