More Uttarakhand News, about Uttarakahnd and more http://uttarakhandnews2k.blogspot.com/
भीमताल। देश की गुलामी के दौर में 1903 में बने ज्योलीकोट-अल्मोड़ा मार्ग पर हर साल न जाने कितनी बार वाहनों के चक्के जाम रहते हैं लेकिन आजाद भारत में इस सड़क का विकल्प आज तक नहीं बनाया जा सका है। वह भी तब जबकि कुमाऊं की सीमाएं चीन से लगती हैं और कुमाऊं को पर्यटन प्रदेश बनाने की बात की जाती है। सड़क का विकल्प तो दूर मरम्मत पर ही करोड़ों रुपये बहा देने पर भी कभी पुल धंसने तो कभी मलबा आने से यात्रियों की फजीहत होना आम है।
ब्रिटिश शासकों ने वर्ष 1903 में बरेली से अल्मोड़ा तक पक्की सड़क बनवाई थी। आजादी के बाद कई साल तक राज्य सरकार के अधीन रहने के बाद इसे रामपुर से ज्योलीकोट तक राष्ट्रीय राजमार्ग-87 घोषित किया गया। वर्ष 2003-04 में अल्मोड़ा तक एनएच को विस्तार दिया गया। इस एनएच की कुल लंबाई 235 किलोमीटर है। इसका अंतिम छोर कर्णप्रयाग है। इसके अलावा इस रोड से अल्मोड़ा, रानीखेत, बागेश्वर और पिथौरागढ़ के लिए वाहन चलते हैं। पहाड़ों पर घाव कर गांव-गांव के लिए आधी-अधूरी सड़कें तो बन रही हैं लेकिन सीमा से जोड़ने वाले इस मार्ग का विकल्प तैयार करने की बात न जाने शासकों को क्यों नहीं सूझी?
में मुख्य सड़क की उपेक्षा से लोग हतप्रभ हैं। निर्बाध आवाजाही के लिए सपाट वैकल्पिक मार्ग की जरूरत रक्षा विशेषज्ञ भी महसूस करते हैं। हर साल यह मार्ग बरसात में अवरुद्ध हो जाता है। ऐसे में यात्रियों को रामनगर या रामगढ़, शहरफाटक होते हुए करीब 50 किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा करनी पड़ती है। पिछले साल 18 सितंबर को हुई दैवीय आपदा ने इस मार्ग को एक तरह से मटियामेट कर दिया। भवाली कोतवाली के समीप, दुग्ध डेयरी के पास और निगलाट में बनी तीन पक्की पुलिया ध्वस्त हो गईं। खैरना, छड़ा और इसके आसपास कोसी ने एनएच को पूरी तरह से लील लिया था। किसी तरह पहाड़ काटकर, तीन वैली ब्रिज बनाकर करीब एक महीने बाद यातायात सुचारु हुआ। भवाली से छड़ा के बीच ही करीब सात करोड़ रुपये खर्च हो गए थे। आज भी यह सड़क गरमपानी से आगे क्वारब तक कई जगह जानलेवा बनी हुई है। निगलाट में स्थित वैली ब्रिज इस बीच दो बार धंस चुका है। आगे भी यह पुल धंस सकता है।
वैली ब्रिज यानी जुगाड़ की व्यवस्थाः भवाली-अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग में भवाली कोतवाली के समीप, दुग्ध डेयरी के निकट और निगलाट में जिन वैली ब्रिजों से वाहन गुजरते हैं वे एनएच ने लोनिवि से किराए पर लिए हुए हैं। एनएच के सहायक अभियंता एमपीएस कालोकाटी ने बताया कि एक वैली ब्रिज एनएच का है। दूसरा लोनिवि की डीडीहाट डिविजन से और तीसरा बागेश्वर डिविजन से लिया गया है। डीडीहाट डिविजन ने ब्रिज के एवज में किराए की डिमांड की है लेकिन एनएच के पास ऐसा कोई मद नहीं है जिससे वह इसका किराया दे सके।
amar ujala15-9-2011
amar ujala15-9-2011
Sarkai Naukari: http://sarkarinaukri-governmentjobsinindia.blogspot.com/
Education News: http://enteranceexamresults.blogspot.com/
No comments:
Post a Comment