देहरादून, उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी नहीं रहे।
बुधवार सुबह सीएमआइ अस्पताल में नौ बजकर 35 मिनट पर उन्होंने अंतिम सास ली।
वह 84 वर्ष के थे।
मंगलवार रात को अचानक स्वास्थ्य खराब होने पर उन्हें सीएमआइ अस्पताल
में भर्ती कराया गया था। जहा चिकित्सीय परीक्षण के लिए उन्हें वेंटिलेटर पर
रखा गया था। बुधवार सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया। कल देर रात ही वह दिल्ली
से अपने नाती की शादी में शिरकत कर दून लौटे थे। 27 दिसंबर 1928 को नारनौल
[हरियाणा] में जन्में नित्यानंद स्वामी का अधिकाश जीवन देहरादून में ही
बीता। उनके पिता वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में तैनात थे। उनका विवाह
चंद्रकाता से हुआ, दोनों की चार पुत्रिया हैं।
दिवंगत स्वामी एक कुशल व्यक्तित्व के धनी थे। यही कारण रहा कि उन्हें
1950 में डीएवी कालेज के अध्यक्ष चुने गए। 50-60 के दशक में वह जनसंघ के
सक्रिय कार्यकर्ता रहे और विभिन्न मजदूर यूनियन के अध्यक्ष भी रहे।
उन्होंने वकालत को अपना पेशा बनाया। शुरुआत में वह काग्रेस से जुड़े रहे और
बाद में भाजपा से जुड़ गए।
वह नौ नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से पृथक राज्य उत्तराखंड के पहले
मुख्यमंत्री बने और उनका कुल कार्यकाल 11 महीने 20 दिन रहा। इससे पहले वह
वर्ष 1991 में उत्तर प्रदेश में विधान परिषद के उपसभापति रहे और 1992 में
सभापति बने। सक्रिय राजनीतिक जीवन के आरंभ में दिवंगत स्वामी वर्ष 1969 में
अविभाजित उत्तर प्रदेश राज्य में देहरादून विधानसभा क्षेत्र से विधान
परिषद से सदस्य निर्वाचित हुए।
danik jagran
No comments:
Post a Comment