प्रस्तावित
पंचेश्वर बांध परियोजना से भारतीय सीमा क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठाया गया है। इससे क्षेत्र में पलायन बढ़ने की आशंका भी जताई गई है।
माना जा रहा है कि विस्थापन की दर बढ़ने का सीधा असर सीमांत क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था पर पड़ेगा। सीमांत गांवों के डूबने से भारत सरकार को सीमा सुरक्षा के लिए अतिरिक्त उपाय करने के साथ ही भारी भरकम धनराशि सुरक्षा कार्यो में खर्च करनी पड़ेगी। इस संबंध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संचालक डॉ.डीडी जोशी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजकर पंचेश्वर सरीखे भारी भरकम बांधों का विरोध किया है।
आरएसएस के जिला संचालक की ओर से पीएमओ को भेजे गए पत्र में बड़े बांधों के स्थान पर छोटे छोटे बांधों की वकालत की है। उनका कहना है कि छोटी नदियों में छोटे बांध बनाए जाने से जहां गांव सुरक्षित रहेंगे, रोजगार के साधन बढ़ने के साथ ही पलायन भी रुकेगा। इसके अलावा पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकेगा।
रेल लाइन और सड़क निर्माण पर भी खतरे की तलवार
पंचेश्वर बांध का निर्माण होने की सूरत में टनकपुर-बागेश्वर के बीच प्रस्तावित रेलवे लाइन के साथ ही सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण टनकपुर-जौलजीबी मोटर मार्ग पर भी खतरे की तलवार लटक सकती है। 137 किलोमीटर लंबे टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग का ज्यादातर हिस्सा महाकाली नदी के पास से गुजरेगा। इसके अलावा सीमा पर तैनात एसएसबी के र्बाडर आउटपोस्ट (बीओपी) को जोड़ने के लिए 171.06 किमी लंबी टनकपुर-जौलजीबी सड़क निर्माणाधीन है, लेकिन काली नदी के किनारे से होकर गुजरने वाली रेल लाइन और सड़क पंचेश्वर बांध बनने की सूरत में डूब क्षेत्र में आ जाएंगे।
7 March Amar Ujala
No comments:
Post a Comment