जनाधार सेवा के अंतर्गत बनने वाले प्रमाण पत्रों में अब आवेदकों को एफिडेविट बनाने के लिए वकीलों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। जिला प्रशासन ने प्रमाण पत्र व दस्तावेज बनाने की प्रक्रिया को हाइटेक कर दिया है। अब आवेदकों फोटो व अपने सिग्नेचर युक्त प्रमाण पत्र मिलेंगे। विद्यार्थियों पर प्रशासन ने उदार दृष्टि दिखाते हुए इंटर कालेजों में ही मोबाइल वेन के जरिए प्रमाण पत्र बनाने का निर्णय लिया है। हालांकि इस सुविधा के लिए आवेदक को पहले के मुकाबले थोड़ी अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके लिए उन्हें अब बीस की जगह पचास रुपए देने होंगे। जिला प्रशासन ने बीते वर्ष कलेक्ट्रेट परिसर में जनाधार सेवा शुरू कर थी। शुरुआत में तो सब ठीक चला मगर धीरे-धीरे लोगों ने आने में आलस कर विभिन्न माध्यमों से प्रमाण पत्र बनवाने शुरू कर दिए। जिसके चलते कुछ लोगों ने फर्जी प्रमाण पत्रों का धंधा भी शुरू कर दिया। यही कारण रहा कि चुनाव में भी लोग इन प्रमाण पत्रों का सहारा लेने लगे। प्रमाण पत्रों में फर्जीवाड़े को देखते हुए अब जिला प्रशासन ने जीनाधार सेवा केंद्र को और ज्यादा हाईटेक कर दिया है। अब प्रमाण पत्र बनाने के इच्छुक अभ्यर्थी को जनाधार केंद्र आना अनिवार्य होगा। यहां वेब कैम से आवेदक का फोटो खिंचा जाएगा। इसके बाद डिजिटल पेड में उसके सिग्नेचर लिए जाएंगे। इससे प्रमाण पत्र बनने की प्रक्रिया शुरू होते ही उसमें प्रशिक्षार्थी का फोटो आ जाएगा। जिससे की इसमें फर्जीवाड़े की कोई गुंजाइश नहीं बचेगी। इतना ही नहीं इन आवेदकों के प्रमाण पत्र भी स्पीड पोस्ट के जरिए उनके घर भेजे जाएंगे। स्कूलों के प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है। इंटर कालेजों में मोबाइल वेन भेजकर प्रमाण पत्र और अन्य जरुरी दस्तावेज बनाए जाएंगे। मोबाइल वेन की जानकारी कालेज को पहले ही दे दी जाएगी। जिलाधिकारी डा. राकेश कुमार ने बताया कि जनाधार केंद्र और अधिक जनोपयोगी और सुदूर क्षेत्रों के अभ्यर्थियों की परेशानियों को देखते हुए प्रशासन ने यह कदम उठाया है।
source: uttaraportal.com
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