राजकीय आईटीआई में अनुदेशकों के 500 से ज्यादा रिक्त पदों पर नियुक्ति की राह तलाश की जा रही है। नियुक्तियों के लिए पहले शुरू की गई प्रक्रिया को चालू करने के विकल्प को भी आजमाने की तैयारी है। राज्य के 71 राजकीय आईटीआई में नियमित अनुदेशकों के पद काफी संख्या में रिक्त हैं। 360 रिक्त पदों पर भर्ती को वर्ष 2002 और 2005 में प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन अड़ंगा लगने से यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई। पीपीपी मोड में दिए गए आईटीआई में अनुदेशकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए विकल्प के तौर पर उद्योगों को संविदा पर नियुक्ति करने का विकल्प खुला रखा गया है। हालांकि, फिलवक्त अनुदेशकों के करीब 500 से ज्यादा पद रिक्त हैं। भर्ती खोलने के लिए सरकार कई पहलुओं पर विचार कर रही है। इंटरव्यू समाप्त कर मेरिट के आधार पर नियुक्तियों के लिए नियमावली में संशोधन किया जा रहा है। नई नियमावली के मुताबिक भर्ती शुरू करने की स्थिति में पुरानी भर्ती प्रक्रिया समाप्त होने का अंदेशा है। लिहाजा, इसके विकल्प के रूप में पुरानी प्रक्रिया के मुताबिक भर्ती शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। इसमें नया पेच नहीं फंसा तो नियुक्ति प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है। पुरानी प्रक्रिया चालू करने के मामले में यह भी देखना पड़ेगा कि आवेदकों की वर्तमान में आयु सीमा में छूट दी जाए अथवा नहीं। सूत्रों के मुताबिक पुराने आवेदकों को आयु सीमा में छूट देने के प्रकरण पर उच्च स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। तकनीकी शिक्षा सचिव सुब्रत विश्र्वास के मुताबिक पीपीपी मोड में दिए गए आईटीआई को भी अनुदेशकों की कमी से जूझना पड़ रहा है। इसलिए उद्योगों को संविदा पर नियुक्ति करने की इजाजत पर विचार किया जा रहा है। इस संबंध में मुख्यमंत्री के पर्यटन सलाहकार प्रकाश सुमन ध्यानी का कहना है कि अनुदेशकों की भर्ती को लेकर सरकार गंभीर है। पंचायत चुनाव की आचार संहिता हटते ही इस संबंध में उच्चस्तरीय बैठक होगी। आईटीआई प्रशिक्षण दुरुस्त करने को कई विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है।
दैनिक जागरण - 08/09/2008 [प्रादेशिक समाचार]
दैनिक जागरण - 08/09/2008 [प्रादेशिक समाचार]
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